
कर्नाटक के गुलबर्गा में आयोजित भारतीय संस्कृति उत्सव – 7 में बिहार के कमलनयन को “राष्ट्रीय युवा भारत गौरव रत्न” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस उत्सव में देशभर के विभिन्न राज्यों से समाज सेवा में सक्रिय युवाओं को सम्मानित किया गया। यह उत्सव हर 5 साल में धूमधाम से आयोजित किया जाता है, जिसका उद्देश्य सभी भारतीयों को देश की संस्कृति और कार्यों से जोड़ना और प्रकृति से प्रेरित होकर अपनी संस्कृति की ओर बढ़ना है। इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, प्रसिद्ध विचारक गोविंदाचार्य, पद्मश्री विद्याबिंदु, उत्सव के संयोजक बसवराज पाटिल, पद्मश्री उमाशंकर पांडे, पद्मश्री कँवल चौहान, साउथ सुपरस्टार एक्टर रमेश अरविन्द, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, माधव रेड्डी और अन्य प्रमुख अतिथि उपस्थित थे, जिनकी उपस्थिति युवा पुरस्कार विजेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रही।
कमलनयन ने प्रेस से बातचीत में कहा कि हमें अपने कार्यों को निरंतर करते रहना चाहिए, चाहे कोई उसे देखे या न देखे। अगर हम अपने काम को ईमानदारी से और बिना फल की चिंता किए करते हैं, तो प्रकृति उसे अवश्य देखती है और उसका परिणाम हमें मिलता है।
बिहार के बोधगया में काम करने वाले कमलनयन ने उत्तरप्रदेश के तिरहुतीपुर गांव में डेढ़ साल तक रहकर वहां के बच्चों और गांव की भलाई के लिए काम किया। समाज सेवा के क्षेत्र में 11 वर्षों से सक्रिय कमलनयन ने पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी कई पहल की हैं। बोधगया में महान नदी निरंजना के पुनर्जीवन पर काम करते हुए और अपने गृह जिले औरंगाबाद, बिहार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कॉपरेटिव्स के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने का कार्य कर रहे हैं।